पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत ‘हरितालिका तीज’ आज है। उत्तर भारत में ये व्रत कुंवारी लड़कियां भी करती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को पार्वती जी ने शादी से पहले किया था। पंडितों के अनुसार यह व्रत भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन किया जाता है। इस ख़ास दिन माता गौरी व भगवान शंकर का पूजन होता है। पूजा करने का सही मुहूर्त शाम 6 बजकर 04 मिनट से रात 8 बजकर 34 मिनट तक है। इस दौरान की गई पूजा बहुत सारी खुशियां और लाभ जातक को पहुंचायेगी।
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कहते हैं मां पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक बिना पानी पिये लगातार तप किया था जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था। तपस्या और निष्ठा के साथ महिलाएं यह व्रत रखती है वह बड़ा कठिन होता है, क्योंकि ये व्रत बिना पानी के रखा जाता है। इस व्रत का खास तौर पर उत्तर भारत मंव विशेष मान है।कहते हैं इस व्रत को करने से महिलाओं को उनके पति सात जन्मों तक मिलते हैं।
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तीज पूजन के लिए जरूरी समान- गीली काली मिट्टी या बालू रेत,अकांव का फूल, बेलपत्र, वस्त्र, धतूरे का फल एवं फूल,शमी पत्र, केले का पत्ता, जनैव, तुलसी, मंजरी, नाडा, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते।
माता पार्वती के लिए सुहाग सामग्री- मेहंदी,बिंदी, चूड़ी, बिछिया,कुमकुम, काजल, माहौर, सिंदूर, कंघी, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि। श्रीफल, कलश,चन्दन, अबीर,दीपक, कुमकुम, दूध, घी-तेल, कपूर,दही, घी, शक्कर, शहद पंचामृत के लिए।