उनका कहना है कि सांप ऐसा प्राणी है जिसे पानी के भीतर सांस लेने में मुश्किल आती है। बारिश में जैसे ही बिल में पानी घुसता है, वे बिलों से बाहर निकल आते हैं। बड़ी संख्या में सांप निकलने पर लोग उन्हें मार देंगे, इसीलिए ऋषियों ने उन्हें दूध-लावा चढ़ाने की परंपरा शुरू की ताकि सांपों का जीवन और पारिस्थितिक संतुलन बना रहे। पर्यावरणविद इस पंरपरा को पारिस्थितिक संतुलन से जोड़कर देखते हैं।
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