आपको ये जानकर बहुत अचंभा होगा कि मछली ब्लाइंडनेस को ठीक करने में मदद करेगी। दरअसल वैज्ञानिकों ने जेब्रा मछली के मस्तिष्क में मौजूद एक रसायन की खोज की है। जिससे यह जानने में मदद मिलेगी कि मछली की आंखों में रेटीना किस तरह विकसित होती है। इस शोध से इंसान के अंधेपन के इलाज में मदद मिलने की संभावना है।
निष्कर्षो से पता चलता है कि जीएबीए (गामा एमीनोब्यूट्रिक एसिड) एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जिसका उपयोग तंत्रिका गतिविधियों को शमित करने के लिए जाता है। रसायन (जीएबीए) को रोककर एएमडी (एज रिलेटेड मैकुलर डिजेनेरेशन) का नया उपचार किया जा सकेगा। यह अंधेपन और रेटिनिटिस पिगमेंटोसा का सबसे सामान्य कारक है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, शोधकर्ताओं ने कहा कि मछलियों और स्तनधारियों के रेटीना की संरचना मूल रूप से समान होती है। इस तरह जीएबीए में कमी से रेटीना के फिर से बनने की शुरुआत हो सकती है। अमेरिका के टेनेसी में वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेम्स पैटन ने कहा, ‘हमारा मानना है कि जीएबीए की मात्रा में कमी से रेटीना फिर से बनने लगती है।’
पैटन ने कहा, ‘यदि हम सही हैं तो जीएबीए अवरोधक के इलाज से मानव रेटीना में सुधार की पूरी गुंजाइश है।’ शोध में वैज्ञानिकों ने एक अंधी मछली में दवा का इजेक्शन दिया तो पाया कि रेटीना में जीएबीए की सांद्रता उच्च स्तर पर पहुंच गई, जिससे रेटीना के फिर से बनने की प्रक्रिया दब गई।