आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके हौसलों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।’ इसी कहावत को सच कर दिखाया है एक ऑटो चालक ने जिसने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से खुद को ऑटो चालक से विमान चालक यानि पायलट बाना दिया। श्रीकांत एक चौकीदार का बेटा है जो कभी ऑटो चलाता था। आज हम आपको उसके ऑटो चालक से लेकर विमान चालक तक के सफर के बारे में बताएंगे।
श्रीकांत के पिता नागपुर में एक मामूली से चौकीदार थे, ऐसे में जाहिर है कि घर में पैसों की दिक्कत थी, जिस वजह से श्रीकांत को बचपन से ही अपने कंधों पर घर की जिम्मेदारी लेनी पड़ी। जहां उसकी उम्र के बच्चे स्कूल जाते थे, वहीं श्रीकांत पैसे जोड़ने के लिए दिन-रात एक करता था।