श्रीकांत की पढ़ाई अधूरी थी, ऐसे में उसे अच्छी नौकरी नहीं मिली और उसने एक डिलीवरी बॉय की नौकरी कर ली। श्रीकांत एक बार एयरपोर्ट गया किसी पार्सल को पहुंचाने और वहां उसकी मुलाकात भारतीय वायु सेना के कैडेट से हुई, उसके बाद वहां पर एक चाय वाले ने उसे डीजीसीए के स्कॉलरशिप की जानकारी दी। ये जानकारी पाते ही श्रीकांत के सपनों पर लग गए।
श्रीकांत ने पढ़ाई के साथ ऑटो चलाना शुरू कर दिया ताकि घर का खर्च चल सके। श्रीकांत एक बार फिर अपने सपने को जीने लगा और 12वीं की किताबों की मदद से उसने डीजीसीए स्कॉलरशिप की तैयारी शुरू कर दी। किस्मत ने साथ दिया और उसका दाखिला मध्य प्रदेश के फ्लाइट स्कूल में हो गया।