इस परीक्षण की शुरुआत 1898 में एल थोइनॉट ने किया था। कई देशों में जहां वर्जिनिटी टेस्ट आम बात है, इसी टेस्ट से वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के अंतर्गत कहा गया कि सहमति के साथ बनाये गये यौन संबंधों में हाइमन लचीलेपन की वजह से टूटता नहीं है, जबकि जबरन बलात्कार करने से यह टूट जाता है।
इसके अलावा बताया जाता है कि प्राचीन काल में अफ्रीकी देशों में कौमार्य परीक्षण के लिये यह परीक्षण महिलाओं द्वारा किया जाता था।
अगली स्लाइड में पढ़िए टू फिंगर टेस्ट पर क्या कहना है सुप्रीम कोर्ट का