इस परंपरा के पीछे जापान के लोगों की ऐसी मान्यता है कि इससे उन्हें बचाने वाली आत्माओं को इज्जत मिलती है। इसीलिए इस सालाना जलसे की तैयारी नए साल की शुरुआत के साथ ही शुरू हो जाती है। जिसके जोश को कड़ाके की ठंड और बर्फ भी जमा नहीं पाती। बर्फीली जमीन पर लट्ठों को खींच कर लाया गया। नौजवानों ने उन्हें कंधे पर उठा कर आयोजनस्थल तक पहुंचाया, इसके बाद रस्सियों की मदद से लट्ठों को ऊपर चढ़ाया गया और उनसे एक खास आकार में मंदिर तैयार कर दिया गया। इसके बाद तय वक्त पर गांव वालों ने मिल कर उसमें आग लगा दी।

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