इस तरह की विचित्र कार्यशालाओं को आयोजित कराने का विचार एक कारोबारी हिरोकी तिराई के दिमाग में आया। वह अपने स्कूली दिनों के अनुभव से प्रेरित था जबकि वह अपना लंच अकेले में एक टॉयलेट क्यूबिकल में खाता था। लेकिन अब वे चाहते हैं कि जापानी लोग अपनी भावनाओं का इजहार सार्वजनिक रूप से करें।
उनका यह भी कहना है कि ‘अगर आप रोते हैं और अपनी कमजोरी को सबके सामने उजागर करते हैं तो आप अन्य लोगों के साथ अच्छा तालमेल बैठा सकते हैं जोकि किसी कंपनी की टीम के लिए अच्छा होता है।’