कई कंपनियों ने एक साल के लिए प्रीपेड सेल्स दिखाया है। हेल्थ सेंटरों, स्पा और होटलों ने प्रीपेड पैकेज ऑफर किए हैं। इन सभी को बगैर डिस्काउंट के बेचा गया है, लेकिन पुराने करेंसी नोटों के जरिए। एनजीओ और ट्रस्टों के पास चंदे देने वालों के फोन आ रहे हैं। इनमें से कुछ दुविधा में हैं कि ऑफर स्वीकार करें या न करें।’
ऐसे बड़े कैश डिपॉजिट के बारे में कई सवाल उठ रहे हैं। ऐसी रकम का स्त्रोत न बताए जाने पर इनकम टैक्स ऑफिस संबंधित लोगों को घेरेगा? अगर टैक्स अधिकारी छोड़ भी दें, तो क्या सर्विस टैक्स और दूसरे इनडायरेक्ट डिपार्टमेंट्स ऐसे लोगों को घेरेंगे? क्या इनकम टैक्स ऑफिस इसकी सूचना ईडी को देगा, जो एंटी मनी लॉन्ड्रिंग लॉ के प्रावधान को लागू करे?
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