आपको बता दें कि रोहिंग्या समुदाय के लोग म्यांमार में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के बहुमत से घुटन महसूस कर रहे हैं। यही कारण है कि हजारों लोग सीमा पार कर बांग्लादेश जा रहे हैं। 2012 में रखीन प्रांत में भड़की हिंसा के बाद से 1 लाख 20 हजार से ज्यादा लोग विस्थापन कैंपों में फंसे हुए हैं। यहां न उन्हें नागरिकता मिल रही है और न ही स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा।
शोहयात भी अपनी मां और भाई के साथ नाफ नदी पार करके बांग्लादेश जाने की कोशिश कर रहा था। तभी उनकी नाव डूब गई। सभी लोगों की मौत हो गई। शोहयात की लाश बाद में कीचड़ में सनी हुई मिली। इस तस्वीर की तुलना अयलान कुर्दी की फोटो से की जा रही है। शोहयात के पिता जफर आलम तो पहले ही बांग्लादेश पहुंच चुके हैं।