एम्स्टर्डम, जहां सेक्स का पूरा बाज़ार है लेकिन पूरी शालीनता के साथ , एक ऐसा भी शहर है, जहां देह व्यापार और सेक्स एजुकेशन को लेकर बेहद खुलापन और जागरुकता भरा माहौल है। शहर का नाम है एम्स्टर्डम। यों भी शायद लड़कियां रेड-लाइट डिस्ट्रिक्ट कम ही ढूंढती हैं। उनकी जरूरत का सामान जो नहीं है वहां। अगर उनके जरूरत के मुताबिक कुछ वहां होता तो क्या ढूंढती? कहते हैं, लड़कियों को शरीर के साथ भावनाओं का मेल चाहिए होता है, और लड़के शरीर और भावनाओं को अलग-अलग रख सकते हैं।
‘शरीफ’ से ‘शरीफ’ लड़कों को ‘उस जगह’ की जानकारी तो कम-से-कम होती ही है। जाएं न जाएं, अलग बात। दुनिया के अलग-अलग कोनों से युवतियां यहां अपने शरीर का व्यापार करने आती हैं लेकिन बड़ी संख्या ईस्ट-यूरोपियन लड़कियों की है। जरूरी नहीं सबके मां-बाप और समाज को पता हो उनके धंधे के बारे में। वहां वैसे तो कोई फोटो खींचता नज़र आता नहीं है, लेकिन अगर कोई खींचता भी है तो सब आस-पास वाले ऐसी नज़रों से देखते हैं कि खुद शर्म आ जाए उसे।
कोई उन लड़कियों से बदतमीजी से पेश नहीं आता दिखता। हर खिड़की में बिताए तीस मिनट का रेट पचास यूरो है। सबका एक रेट फिक्स है। किसी भी और व्यापार की तरह उनकी भी रसीद होती है। चाहे आप ये रसीद अपने टैक्स रिटर्न में दिखाएं या ना दिखाएं, ये लोग जरूर दिखाती हैं और बाकायदा टैक्स फाइल करती हैं। जगह-जगह सेक्स टॉयज और कंडोम की दुकाने हैं। दुकानों में कंडोम रंग-बिरंगे गुब्बारों के जैसे टंगे हैं। खिड़कियों में खड़ी लड़कियां हैं तो लाइव पोर्न की दुकानें हैं, सेक्स टॉयज भी बाहर डिस्प्ले विंडोस में सजे रखे हैं, लेकिन इस जिस्म के बाज़ार में कोई हुड़दंगी नहीं है। पोर्न का यों खुला बाज़ार होते हुए भी लोग शालीन हैं।