1960 के बाद तक Chin जनजाति यानि मुन, डाई और मकंग में जन्मी लड़कियों को 12 से 14 साल की उम्र के बीच अपने चेहरे पर टैटू बनवा लेना होता था। इसके अलावा लोगों के जबरन किडनैप करने और उस समय बर्मा के राजा की गुलामी से बचने के लिए ऐसा किया जाता था। तब से यह परम्परा लोगों के जीवन में शुमार हो गया। हालांकि, ये प्रथा अब लगभग खत्म हो चुकी है।
म्यांमार की सरकार ने इसे बर्बर प्रथा मान कर बंद कराने के काफी प्रयास किए। वहीं, कुछ लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया तो कुछ लोग इसके खिलाफ थे, लेकिन अभी भी दूर दराज के इलाकों में बुजुर्ग महिलाओं के चेहरे पर ही ये परम्परागत टैटू मौजूद हैं। लेकिन अब नई पीढ़ी के लोग टैटू नहीं बनवाना चाहते हैं वो इस परम्परा से दूर भाग रहे है।
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