इस दौरान उन्हें एक बेहद मुश्किल और दर्द भरी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। ट्रेनिंग कोच बच्चों के साथ ट्रेनिंग के दौरान बहुत ही कड़ा और भयानक व्यवहार करते हैं। इस ट्रेनिंग के दौरान बच्चों को बेहद दर्द से गुजरते हैं जिसके कारण वो दर्द में चीखते-चिल्लाते और रोते हैं। इस ट्रेनिंग का आलम ये होता है की बच्चों को कई कई घंटों तक एक ही पोजिसन में बैठना पड़ता है। जिसके कारण उनको चलने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लेकिन एक बार अगर बच्चा ट्रेनिंग सेंटर पहुंच गया तो फिर वो चीनी रूल्स के मुताबिक बच्चा ट्रेनिंग नही छोड़ सकता।
हालांकि बच्चों के पैरेंट्स भी खुशी-खुशी उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजते हैं। उनका मानना है कि इतनी टफ ट्रेनिंग से ना केवल उनका बच्चा काफी मजबूत हो जाएगा बल्कि देश के लिए मेडल्स जीतने के काबिल भी हो जाएगा।
सिलेक्शन प्रोसेस
- ट्रेनिंग के लिए उन बच्चों का सिलेक्शन किया जाता है जो अपने हमउम्र बच्चों से ज्यादा स्ट्रॉन्ग होते हैं।
- ट्रेनिंग के दौरान बच्चों के मसल्स को फ्री करने के लिए उन्हें कई तरह की दर्दनाक एक्सरसाइज कराई जाती है। इस दौरान उन्हें पैर फैलाने और हाथ से पूरी बॉडी का बैलेंस बनाने के लिए जमकर तकलीफ सहना पड़ती है।
- देखने वालों को ये ट्रेनिंग बच्चों पर जुल्म ढाने जैसी लग सकती है, लेकिन इसके बाद भी उन्हें ये ट्रेनिंग दी जाती है।
- यहां पर तीन साल की उम्र से ही बच्चों का एडमिशन ट्रेनिंग देने के लिए करा दिया जाता है
आगे पेज में देखिये वीडियो कैसे चीन में क्रूर ट्रेनिंग से तैयार होते हैं एथलीट्स