बगदादी का मकसद सिर्फ और सिर्फ इराक और सीरिया को जीतना नहीं है बल्कि वो तो तमाम लेवेंट मुल्कों यानी साइप्रस, इजरायल, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, फिलिस्तीन और टर्की को भी जीतना चाहता है।
बगदादी ने इराक पर कब्जे के लिए अल-कायदा इराक का नाम बदल कर नया नाम रख लिया था आईएसआई यानी इस्लामिक स्टेट आफ इराक। साल 2009 में इराक के बाद बगदादी ने सीरिया का रुख करने का फैसला किया। सीरिया तब गृह युद्ध झेल रहा था। इस दौरान उसने एक बार फिर से अपने संगठन का नाम बदल कर अब आईएसआईएस कर दिया था, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया।
जून 2013 के दौरान अमेरिका, इजराइल, जॉर्डन, टर्की, सऊदी अरब और कतर ने फ्री सीरियन आर्मी को हथिय़ार, पैसे, और ट्रेनिंग की मदद देनी शुरू की। इन देशों ने बाकायदा सारे आधुनिक हथियार, एंटी टैंक मिसाइल, गोला-बारूद सब कुछ सीरिया पहुंचा दिया और बस यहीं से आईएसआईएस के दिन पलट गए। दरअसल, जो हथियाऱ फ्री सीरियन आर्मी के लिए थे, वो साल भऱ के अंदर आईएसआईएस तक जा पहुंचे।
हथियारों का जखीरा अब जमा हो चुका था। 15 हजार के करीब लड़ाके भी साथ हो लिए थे। इसी के बाद जून 2014 में अचानक पहली बार आईएस की ऐसी तस्वीर दुनिया के सामने आई और देखते ही देखते एक गुमनाम संगठन अगले कुछ महीनों में ही दुनिय़ा का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन बन गया।