कल तक दहशत की सारी हदों से आगे निकलकर दुनिया को ललकारने वाले सबसे ख़ौफ़नाक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के लिए अब तस्वीर पूरी तरह से पलट चुकी है। पहली बार लगने लगा है कि लड़ाई के इस मैदान में अब आतंकवादियों डरे और सहमे हुए हैं और उनके पास पीछे जाने के सिवाए दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है और अगर वो जगं-ए-मैदान में खड़े रहते हैं तो वो बेमौत मारे जाएंगे।
10 जून 2014 का दिन इराक के इतिहास के पन्नों में एक काला दिन बन गई थी। दरअसल आज से करीब सवा दो साल पहले मोसुल का मंज़र ऐसा नहीं था। इराक के इसी शहर में सीरिया बॉर्डर पार कर आईएस के आतंकवादी टोयोटा कारों में सवार हो आईएस के काले झंडे लहराते, हाथों में खतरनाक हथियार थामें इस शहर के अंदर घुसे थे और कुछ ही वक्त में इस शहर पर अपना क़ब्ज़ा जमा लिया था। उस वक्त इराक सेना भी उनका मुकाबला नहीं कर पाई थी।
इसके बाद इराक ने क़त्ल-ए-आम और क़त्ल-ओ-ग़ारत का ऐसा मंजर देखा कि इंसानियत भी रो पड़ी थी। इब्राहिम अव्वाद इब्राहिम अली बद्री उर्फ़ अबू बकर अल बगदादी उर्फ़ इनविजिबल शेख उर्फ़ डॉ इब्राहिम नाम के इस शख्स और इसके आतंकवादियों ने जो क़त्ल-ओ-गारत मचाई उसके बारे में सुन कर रौंगटे खड़े हो जाते हैं। यही वो शख्स था जिस पर इराक और सीरिया समेत कई मुल्कों में बरपे मौजूदा कहर के मास्टरमाइंड होने का इल्ज़ाम है।