दरअसल, कुछ साल पहले श्रुति के दादाजी की मृत्यु हो गई थी। उस दिन सब कुछ अस्त-व्यस्त था। अंत्येष्टि का सामान जुटाने के लिए लोग परेशान थे। इधर-उधर फोन घुमा रहे थे। बस उन्होंने इस तरह की कंपनी चलाने का फैसला ले लिया। श्रुति के अलावा इस काम में चार लोग और हैं। इसके तहत वे अंतयेष्टि कार्य से जुड़ी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। श्रुति अपने काम के बारे में बताती हैं- “जैसे लोग वेडिंग प्लानिंग करते हैं, बर्थडे प्लानिंग करते हैं, वैसे ही हम फ्यूनरल प्लानिंग करते हैं।”