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दशहरे के बाद तुंगनाथ मंदिर बंद होते ही पूरा चोपता वीराने में बादल जाता है। तुंगनाथ देवता के मक्कूमठ जाने के साथ ही यहां के लोग भी अपने-अपने गांव रवाना हो जाते हैं। लगभग चार महीनों तक बर्फ की चादर ओढ़े समूचा इलाका सन्नाटे में डूबा होता है।

चोपता के आसपास केदारनाथ कस्तूरी मृग अभयारण्य, देवरिया ताल और ऊखीमठ कुछ और देखने लायक जगह हैं। चोपता दिल्ली से 440 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58 पर मोहन नगर, हरिद्वार, ऋषिकेश और देवप्रयाग के रास्ते रुद्रप्रयाग तक पहुंचा जा सकता है।

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