शाम होते-होते यह आकृति धूंधली पड़ने लगती है और अंधेरा होने पर यह गायब हो जाती है। दूसरे दिन फिर उसके ललाट पर दूसरी अनुकृति उभर जाती है, और लोगों की भीड़ उनके घर पर जुटने लगी है। प्रतिदिन सुबह से ही अरूण कुंवर के घर इस अद्भुत बच्चे के लिए लोगों का तांता लगा रहता है। बच्चे की झलक पाने के लिए आसपास के गांव के लोग रोज रामगढ़ पहुंच रहे हैं। दर्शन पाकर लोग अपने को धन्य मान रहे हैं।
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