रोजी तमिलनाडु केरल बॉर्डर की सुलाल पंचायत से आती है। रोजी ने जीवनयापन के लिए सबसे पहले काजू के खेतों में काम करना शुरू किया। बाद में रोजी ने केन्द्र सरकार की स्कीम मनरेगा के लिए खुद को रजिस्टर करवाया और वहां मजदूरी करने लगी। रोजी ने शादी नहीं की है। रोजी मजदूरी करती है और बचाए पैसों से रोजी ने खुद के लिए ग्रेनाइट का एक ताबूत बनाया है। रोजी का कहना यह है की वह मरने के बाद किसी पर बोझ नहीं बनाना चाहती।