समाज में हमेशा महिलाओं को बेकगारी और अबला के रूप में ही जाना जाता है। लेकिन लोग ये भूल जाते हैं कि समय आने पर यही अबला नारी दुर्गा भी बन जाती है। लोगों की इस दक़ियानूसी सोच को ग़लत साबित करते हुए केरल की कुछ महिलाओं ने जो किया वो सच में किसी मिसाल से कम नहीं है।
यहां की महिलाओं ने आस-पास के इलाक़ों में 190 कुंए खोद कर लंबे समय से चली आ रही पानी की समस्या को सुलझा दिया है। ये महिलाएं पेशे से मज़दूर नहीं थीं। इन्हें शारीरिक रूप से भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन इन्होंने काम नहीं रोका। बिना किसी मशीन के सहारे चट्टानी ज़मीन में 10-12 मीटर गहरा कुआं खोदना आसन नहीं रहा होगा। सारी मुश्किलों को पीछे छोड़ते हुए महिलाओं ने एक साल के अन्दर 190 कुएं खोद डाले।
खुदाई के वक़्त महिलायें बांस की सीढ़ी और रस्सी की मदद से नीचे में उतरती थीं। इस काम में हर उम्र की महिलाओं ने अपना योगदान दिया और सबके सहयोग से महिलाओं ने इस काम को पूरा कर लिया।
पलक्कड़ ज़िला सूखाग्रस्त ज़िलों में आता है। 35 से 70 साल की उम्र के बीच की इन महिलाओं ने सूखे से जूझ रहे अपने गांव में ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ के अंतर्गत अगस्त 2016 से अब तक 190 कुएं खोद लिए हैं। ये गांव पानी के लिए छोटे तालाब और कुएं पर ही निर्भर है।