साथी बाई अपने पति और बेटी की मौत के बाद से काफ़ी बदल गयी थी, वो आस-पास के लोगों से भी इसलिए नहीं बात करती थी क्योंकि उसको लगती था कि वो उसे बेवक़ूफ़ बना देंगे। इसलिए उसके पड़ोसियों से भी उसे नोटबंदी के बारे में पता नहीं चला। बैंक अधिकारी का कहना है कि साथी उस दिन बैंक खुलने से पहले ही वहां पहुंच गयी थी और उसके पास जो थैला था, उसमें तकरीबन 5 लाख रुपये तक अमाउंट था। उन्होंने उसे RBI से मदद लेने को भी कहा, पर उसने साफ़ इनकार कर दिया। उसके पति और बेटी की मौत के बाद से ही वो कटी-कटी रहने लगी और उसके पड़ोसियों के धोखे की वजह से वो अब किसी पर भरोसा नहीं करती, न बात करती है।