हालांकि छूट वाले आइटम्स की संख्या काफी घटाई जा सकती है ताकि जीएसटी के तहत टैक्स बेस बढ़ाया जा सके। अधिकारी ने कहा, ‘छूट वाली लिस्ट बहुत बड़ी नहीं हो सकती है। जिन चीजों को आम उपयोग के लिए जरूरी माना जाता है, उन पर छूट दी जा सकती है।’ उन्होंने कहा कि कुछ जरूरी सेवाओं को भी इस लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 4 स्लैब वाले रेट स्ट्रक्चर में पांच विकल्पों का प्रस्ताव किया है। इसमें कीमती धातुओं के लिए 4% का एक अलग रेट भी है। प्रस्तावित रेट्स का दायरा निचले लेवल पर 5-7% और स्टैंडर्ड रेट लेवल पर 10-19% है। केंद्र निचले से स्टैंडर्ड लेवल तक दरों को 6%, 12% और 18% पर रखना चाहता है। लेकिन काउंसिल को 3-4 नवंबर की बैठक में इस फ्रेमवर्क पर अंतिम निर्णय करना है। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश यही होगी कि जो आइटम अभी जिस टैक्स ब्रेकेट में है, उसे उसी ब्रेकेट में फिलहाल रखा जाए।