पांच पैसे प्रति किलो प्याज़ सुनकर बेशक आप दंग रह गए होंगे और कहीं न कहीं खुश भी हो रहे होंगे लेकिन नासिक के किसानों के लिए यह बात नागवार साबित हुई।
जी हां, मंडी में सिर्फ पांच पैसे प्रति किलो का प्रस्ताव मिलने पर किसान ने पूरा प्याज लाकर अपने खेत में फेंक दिया। नासिक का निफाड और लासलगांव क्षेत्र देश के बड़े हिस्से को प्याज आपूर्ति के लिए जाना जाता है। निफाड तालुका के साईंखेड़ा गांव निवासी सुधाकर दराडे बीते मंगलवार को जब अपना प्याज बेचने मंडी पहुंचे तो उन्हें प्रति किलो पांच पैसे यानी पांच रुपए क्विंटल प्याज बेचने का प्रस्ताव दिया गया।
मेहनत से उगाए गए प्याज को इस कीमत पर बेचना उन्हें मंजूर नहीं था। लिहाजा प्याज के साथ अपने गांव लौट आए और पूरा प्याज खेत में फेंक दिया। प्याज अपने खेत में फेंकनेवाले सुधाकर अकेले किसान नहीं हैं। कम कीमत मिलने के कारण कई किसान अभी भी अपने खेतों में विशेष प्रकार का हवादार मचान बनाकर प्याज संजो रहे हैं, ताकि दाम सुधरने पर उसे बेचा जा सके।
लगातार तीन वर्ष भीषण सूखा रहने के कारण पिछले वर्ष अगस्त के इन्हीं दिनों में प्याज अपनी उच्चतम कीमत 5,824 रुपए प्रति क्विंटल तक जा पहुंचा था। अधिक भाव मिलने की इसी उम्मीद में इस वर्ष किसानों ने प्याज की ज्यादा पैदावार की। दूसरी ओर गन्ने की खेती में लगे कई किसान भी पानी की कमी के कारण प्याज की खेती की ओर मुड़ गए। फलस्वरूप इस बार प्याज की रिकॉर्ड पैदावार हुई है। नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के अनुसार पिछले वर्ष (यानी जून 2014 से मई 2015 के बीच) जहां 189 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ था, वहीं इस वर्ष 203 लाख टन पर जा पहुंचा है।
हालांकि लासलगांव कृषि उत्पादन विपणन समिति (एपीएमसी) के सदस्य संजय पिंगले दराडे को प्रस्तावित कम कीमत का दोष उसकी प्याज की गुणवत्ता को देते हैं। उनका कहना है कि अच्छी प्याज आज भी इतने कम दामों पर नहीं बिक रही है। एनएचआरडीएफ के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को मंडी में 10,500 क्विंटल प्याज की आवक हुई। जिसकी कम से कम कीमत 300 प्रति क्विंटल एवं अधिकतम 858 रुपए प्रति क्विंटल लगी थी।