विधान परिषद के पूर्व सभापति चौधरी सुखराम सिंह यादव बताते हैं, ‘मुझे वर्ष तो नहीं याद है। पर, मौका माधोगढ़ (जालौन) सीट के विधानसभा उप चुनाव का था। मेरे पिता और मुलायम सिंह के मित्र चौधरी हरमोहन सिंह वहां चुनाव प्रचार कर रहे थे। मैं भी साथ में था। उन दिनों रात-रात भर गांवों में जाकर लोगों से मिलने-जुलने और वोट मांगने की परंपरा थी। हम लोग एक गांव से निकलकर दूसरे गांव जा रहे थे। रात का वक्त था। कुठवन के पास एक गांव में फायरिंग की आवाज सुनाई दी। ‘नेताजी’ ने मुझसे कहा कि जीप गांव की तरफ ले चलो। शायद, डकैती पड़ रही है। उन्होंने पड़ोस के गांव के कुछ लोगों को भी जगवाया। हम सभी लोग उस गांव के पास पहुंचे। नेताजी सबसे आगे। गांव से थोड़ा पहले रुककर उन्होंने डकैतों को ललकारा तो उधर से हम लोगों पर फायरिंग हुई। पर, नेताजी पूरी तरह बेखौफ। आखिरकार, डकैतों को गांव से भागना पड़ा। गांव वाले सभी लोग सुरक्षित बच गए।’