युवक उसे जबरन बदनाम करने की साजिश कर रहा है। न तो उसने उससे कभी प्रेम किया और न ही विवाह। हाईकोर्ट ने इस जानकारी को रिकॉर्ड पर लेते हुए बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका 25 हजार रुपए के जुर्माने सहित खारिज कर दी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस एचपी सिंह की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि उसने सेंधवा निवासी जिस युवती से प्रेम विवाह किया था, उसे उसके माता-पिता ने जबरन बंधक बना लिया है। लिहाजा, मेरी पत्नी को मुक्त कराया जाए। हाईकोर्ट ने इस जानकारी पर गौर करने के बाद युवती को प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए थे। पुलिस ने निर्देश का पालन करते हुए युवती को पेश किया।

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