हमने ‘सम्मान’ और ‘पर्सनल स्पेस’ पर चर्चा की थी, खासकर जब लड़कियों के साथ बातचीत कर रहे हो तो। तुमको शायद पता नहीं हो कि ये मुद्दों कितनी तेजी के बढ़ रहे हैं। याद है कि राहुल अंकल खाने में नमक ज्यादा हो जाने के कारण थप्पड़ मारते-मारते रह गए थे।
हमारी नौकरानी को याद करो, जिसके शरीर पर चोट के निशान थे। तुम्हें लगता था कि वह सीढ़ियों से गिरने के कारण घायल हो गई थी। क्या तुम भूल सकते हो, बस स्टॉप पर अनु कैसे रो रही थी? उन सभी ने हिंसा और शोषण के विभिन्न रूपों का सामना किया था।
मगर, इन बातों का तुमसे क्या लेना-देना? मुझे लड़कियों से बात करनी चाहिए और उन्हें सुरक्षित रहने के तरीके सिखाने चाहिए। ये महिलाओं को मुद्दे हैं और तुम एक लड़के हो, अच्छे लड़के, है न?
मामला यह है कि यदि हर लड़के को लड़कियों की इज्जत करने के बारे में शुरू से सिखाया जाएग, तो हमें इन मुद्दों का सामना करना ही नहीं होगा।
“लड़के तो लड़के होते हैं!” लाखों बार तुमने इसे सुना होगा, मगर इस पर विश्वास नहीं करो। पार्क में तुम्हारे बदमाश दोस्त सिर्फ मजे के लिए लड़की से छेड़खानी करते हैं। तुम उन्हों रोकने के बजाय उनके साथ हंसते हो, तो तुम भी उत्पीड़न के दोषी हो।
लड़की को रोते हुए घर जाने देने की बजाय, उस छेड़खानी करने वाले लड़के का तुम सब बहिष्कार करो, जब तक वह अपनी गलती सुधार नहीं ले। उत्पीड़न और हिंसा तब होती है, जब साथियों से समर्थन मिलता है और समाज के प्रति जवाबदेही कम होती है। सामाजिक कलंक शिकार अत्याचारी के बजाय पीड़ित पर होता है।