पंचायत के फरमान पर नाबालिग लड़की के साथ करने जा रहे थे ऐसा, तभी पहुंच गए अधिकारी और , बैतूल में गांव की पंचायत ने प्रेमी जोड़े का विवाह न करने पर दैवीय प्रकोप का डर क्या बताया आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने सारे नियम कायदों को ताक पर रख डाला और रविवार को अपने बेटे का एक नाबालिग से विवाह करने की तैयारी कर ली। ग्रामीणों की सूचना पर महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम और पुलिस ने पहुंचकर बाल विवाह रूकवाया और परिजनों को दुल्हन के बालिग होने पर विवाह करने के लिए सहमत कर लिया।
इस मामले में चौंकाने वाली बडी यह है कि युवक की मां आंगनवाडी कार्यकर्ता के पद पर पदस्थ है और वह भी दैवीय प्रकोप के डर से नाबालिग से विवाह कराने के लिए तैयार हो गई थी। है। शासन ने बाल विवाह को रोकने के लिए आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहने की जिम्मेदारी दी है लेकिन इस मामले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ही सवालों के घेरे में आ गई है।
दैवीय प्रकोप की आशंका में बाल विवाह कराए जाने का मामला चिचोली ब्लाक की ग्राम पंचायत जोगली का है।चिचोली पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार गांव की एक 16 वर्षीय किशोरी और एक युवक के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा है। इसी दौरान किशोरी गर्भवती हो गई। जब यह बात परिजनों को पता चली तो दोनों परिवारों के बीच विवाद शुरू हो गया। इस विवाद का हल निकालने के लिए गांव में पंचायत बुलाई गई।
पंचायत में सभी ने यह कहा कि यदि इनका जल्द विवाह नहीं कराया जाता है तो पूरे गांव में दैवीय प्रकोप होगा और सभी को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। इसी डर से दोनों के परिजनों ने शीघ्र दोनों का विवाह कराना तय किया और पंचायत के आदेश पर रीति रिवाज के साथ मंडप डालकर 2 जुलाई को विवाह की तैयारी शुरू कर दी।
नाबालिग गर्भवती का विवाह होने की खबर मिलते ही महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम और चिचोली पुलिस सक्रियता के साथ गांव पहुंच गई। टीम ने देखा कि घर में मंडप डालने की तैयारी की जा रही थी और रिश्तेदार विवाह की रस्में निभाने में जुटे हुए थे। टीम ने जब किशोरी की उम्र से संबंधित दस्तावेज देखे तो उसकी उम्र 16 वर्ष पाई गई। किशोरी के परिजनों को समझाइश दी गई लेकिन ग्रामीण दैवीय प्रकोप का हवाला देकर विरोध करने लगे।
पुलिस ने जब कानून का पालन न करने पर कार्रवाई करने का कहा तब ग्रामीण विवाह न करने पर राजी हुए। युवक और किशोरी के परिजनों को पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने किशोरी के बालिग होने पर ही विवाह करने की सलाह दी और बाल विवाह रूकवाया गया। इस बाल विवाह को रूकवाने में ग्राम के अरुण गंगारे, अशोक गंगारे, फूलसिंग मरकाम, मौजीलाल ने मुख्य भूमिका निभाई।