आमतौर पर लोग 60 या 65 साल की उम्र अपने काम से सन्यास लेकर आराम की जिंदगी जीते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जो अपने काम के आगे किसी भू उम्र को महज़ एक नंबर समझते हैं। ऐसे ही एक डॉक्टर हैं डॉक्टर बलवंत घाटपांडे जो हफ्ते के सातों दिन अपने क्लिनिक में काम करते नज़र आते हैं। 102 साल के डॉक्टर बलवंत ने 15 मार्च को ही अपना जन्मदिन मनाया है और वो भारत के सबसे उम्रदराज प्रैक्टिसिंग डॉक्टर बन गए हैं।
एलोपैथी ज्ञान के साथ ये डॉक्टर पुणे में लगातार मरीजो को अपनी सेवा दे रहे हैं। उम्र इनके लिए कोई मायने नहीं रखती, इनमें अभी भी मरीजों का इलाज करने का जज्बा है। यही नहीं इन्हें अपने पेशे से इतना प्यार है कि इस उम्र में भी डॉक्टर बलवंत कहते हैं कि मैं कभी रिटायर नहीं होउंगा। इतना ही नहीं उनकी ख्वाहिश है कि अगर उनका अंतिम समय आए तो वो भी डिस्पेंसरी में काम करते हुए आए।
अपने प्रोफेशन के बारे में बात करते हुए देशपांडे कहते हैं कि ये बहुत ही नोबल प्रोफेशन है इस पेशे में जहां आपको संतुष्टी मिलेगी वहीं आर्थिक सुरक्षा भी मिलेगी। डॉक्टर साहब बताते हैं कि मैंने इस प्रोफेशन में पैसे से लेकर लोगों की गुडविल सब कुछ हासिल की है। उनका पोता चैतन्य घाटपांडे जो खुद भी एक डॉक्टर हैं अपने दादाजी को वर्कोहोलिक कहते हैं। डॉक्टर घाटपांडे ने 1941 में अपना करियर शुरू किया था।