घर की दीवारों पर बनाए एेसे चित्र
अब दस साल से बेटे, बहू व पोते-पोतियों की इस बीमारी की पीड़ा झेल रही अंकुर की मां वीणा बड़जात्या एक मनोचिकित्सक की मदद से सभी को ठीक करने की कोशिश में जुटी हैं । मनोचिकित्सक डॉ. पवन राठी ने बताया कि जब मरीज से बीमारी दूसरे में चली जाती है तो उसे शेयर्ड सायकोसिस कहते हैं । यह रेयरेस्ट बीमारी है । पति के साथ-साथ पत्नी और बच्चे भी इसके शिकार हो गए थे । सही समय पर ट्रीटमेंट जरूरी है, वरना समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिलने से पूरा परिवार बर्बाद हो जाता हैं । पति पर ट्रीटमेंट शुरू कर दिया गया है । उसमें काफी परिवर्तन नजर आ रहा। वह परिवार के साथ धीरे-धीरे बाहर निकलने लगा है। दादी ने 9 और 7 साल के बच्चों का क्षेत्र के ही स्कूल में पहली बार एडमिशन कराया है।
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