दलील में ये भी कहा गया है कि भारत में एसिड अटैक के मामले में कड़े क़ानून बनाने की ज़रुरत है। कई देशों में इस अपराध के खिलाफ़ ऐसे कानून बनाए जा चुके हैं। भारत में भी ऐसे मामलों में तेज़ जांच और जल्दी सुनवाई का प्रावधान होना चाहिए। मुआवज़े के तौर पर दी जाने वाली तीन लाख की रक़म, इलाज के लिए बेहद कम होती है। कई बार पीड़ित को बहुत से ऑपरेशन कराने पड़ते हैं, जिनमें बड़ा खर्चा आता है।
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