आजकल लोग पैसा और समय की बचत के लिए कैब शेयर करते हैं। लेकिन कहीं यह सुविधा जनक शेयरिंग आपको महंगी ना पड़ जाए। जी हाँ दरअसल बेंगलुरु में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें शेयरिंग के चक्कर में कैब ड्राईवर यात्रियों को लूट रहे हैं सबसे कमाल की बात तो यह है कि इन लुटेरों के निशाने पर देर रात काम से लौटते हुए लोग होते हैं। इन लोगों को घर पहुंचने की जल्दी होती है। ये लुटेरे कैब ड्राईवर बनकर लोगों से शेयरिंग कैब का विकल्प चुनने के लिए कहते हैं। कम पैसों में जल्दी घर पहुंचने के लालच में ये लोग कैब में बैठ जाते हैं।

दरअसल इस कैबों के अंदर पहले से ही बैठे लोग आम सवारी नहीं होते बल्कि वे चोर ही होते हैं और बाद में लोगों से उनके कीमती सामान छें लेते हैं। कई बार वो पैसेंजर को शारीरिक नुक्सान भी पहुंचते हैं। ये अपराध पुराना है और एक बार फिर अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा है। 2010-2013 के बीच बेंगलुरु में लगभग रोज़ ही इस संबंध में एक रिपोर्ट दर्ज की जाती थी। 2013 के बाद ऐसी घटनाएं कम हो गईं थी क्योंकि पुलिस ने अपनी चौकसी बढ़ा दी थी।

जब से टैक्सी को ट्रैक करने का सिस्टम शुरू हुआ है उसके बाद से ये लुटेरे ऐसी टैक्सी का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसमें ऐसा कोई सिस्टम न हो। जो लोग इन चोरों के जाल में फंस जाते हैं उनको अपने सभी चीज़ों से हाथ धोना पड़ता है। इनके टारगेट ज़्यादातर टेकी और बीपीओ में काम करने वाले लोग होते हैं। एक सीनियर अफ़सर ने बताया कि जब लोग ऐसी घटनाओं की एफ़आईआर दर्ज करवाने आते हैं तो वो पूरी बात नहीं बताते हैं। वो इस बात को छिपा ले जाते हैं कि लुटेरों ने उन्हें कम दाम में घर पहुंचाने का लालच दिया था। वो ये कहते हैं कि उन्हें राह चलते लूटा गया। पुलिस का कहना है कि देर रात पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी होने की वजह से लोग इस जाल में फंस जाते हैं।

पुलिस कहती है कि हर गाड़ी को चेक किया जाना नामुमकिन है फिर भी हम अपनी पूरी कोशिश करते हैं। हम राह चलते किसी भी गाड़ी की तरफ़ उंगली नहीं उठा सकते। ऐसा देखा गया है कि पुलिस पीले रंग की प्लेट वाली गाड़ियों को नहीं रोकती जिसका मतलब है टैक्सी। पुलिस का यही कहना है कि सुरक्षित रहने के लिए लोगों को ऐप से ही टैक्सी बुक करनी चाहिए। लालच के चक्कर में खुद को लूट का शिकार मत होने दीजिएगा।

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