जकार्ता/जालंधर : साल पहले इंडोनेशिया में ड्रग्स तस्करी में पकड़े गए भारतीय की मौत की सजा को आखिरी वक्त में रोक दिया गया। पंजाब के नकोदर के गुरदीप सिंह की जान बचाने के लिए विदेश मंत्रालय ने काफी प्रयास किया। अभी तक ऑफिशियल सोर्सेज ने सजा रोकने की खबर को कन्फर्म नहीं किया है। यह भी कन्फर्म नहीं किया गया कि गुरदीप समेत ड्रग्स केस में 10 अन्य दोषियों को सजा क्यों नहीं दी गई।
2005 में गुरदीप सिंह कोसे 14 लोगों के साथ मौत की सजा सुनाई गई थी। इन सभी पर हेरोइन तस्करी का आरोप है। देर रात दो बजे तक नुसाकंबंगन जेल में एक इंडोनेशियाई और तीन नाइजीरियन को मौत की सजा दे दी गई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को भरोसा दिया था कि गुरदीप को बचाने की आखिरी कोशिशें की जा रही हैं। डिप्टी अटॉर्नी जनरल फॉर क्राइम नूर रामचंद के मुताबिक सभी को फायरिंग स्कवॉड ने गोली मारी। हालांकि, रामचंद ने गुरदीप समेत बाकी 10 ड्रग अपराधियों की मौत के बारे में कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि अब अगले चार लोगों को मौत की सजा दी जाएगी। इन चार लोगों में क्या गुरदीप भी शामिल है यह साफ़ नहीं हो पाया है।
गुरदीप इंडोनेशिया में ड्रग तस्करी के आरोप में अरेस्ट हुआ था। 2004 में उसे 300 ग्राम हेरोइन तस्करी के आरोप में अरेस्ट किया गया था। उस वक्त उसने पुलिस पूछताछ में कहा था कि उसे हेरोइन पाकिस्तान के जुल्फिकार अली ने उपलब्ध कराई थी। उसके बयान के बाद पुलिस ने जुल्फिकार को उसके घर से उठा लिया था। जुल्फिकार इंडोनेशियाई लड़की से शादी कर वहीं बस चुका था।हालांकि बाद में गुरदीप ने जजों के पैनल के सामने जुल्फिकार और उसकी पत्नी को निर्दोष बताया। उसने कहा कि पुलिस ने उसे टार्चर करके जुल्फिकार को हेरोइन तस्करी से जोड़ने के लिए दबाव बनाया था। लेकिन अदालत ने गुरदीप की पहली स्टेटमेंट को ही सही माना और जुल्फिकार की सजा बरकरार रखी। शुक्रवार तड़के इन्हें सजा देने की तैयारी कर ली गई थी। विजया पुरा डॉक कांप्लेक्स में मिलिट्री पुलिस और नेशनल पुलिस मोबाइल ब्रिगेड के 1500 मुलाजिम तैनात रहे। गोली मारने से पहले वहां 17 एंबुलेंस को तैनात किया गया था। जिसमें 14 एंबुलेंस में ताबूत थे जिनमें आरोपियों को मौत की सजा के बाद ले जाना था।
गुरदीप को बचाने को लेकर सुषमा स्वराज ने ट्वीट में कहा था, ‘हम 28 जुलाई को तय मौत की सजा से पहले उसकी जान बचाने की कोशिशें कर रहे हैं।’पंजाब के जालंधर का रहने वाले गुरदीप को इंडोनेशिया के तांगेरांग बांटेन प्रॉविंस के एक जिला कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है।
इस सजा के खिलाफ इंडोनेशिया समेत पूरी दुनिया में ह्यूमन राईट एक्टिविस्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।
जिस सहारनपुर के एजेंट ने गुरदीप को इंडोनेशिया भिजवाया था, अब उसकी मौत हो चुकी है। परिवार वाले कहते हैं – हमारा बेटा नशा नहीं बेच सकता। वह बेकसूर है। एक पाकिस्तानी ने हमारे बेटे का नाम ले लिया। वह पहले ही एजेंटों के जाल में फंसा था, फिर उन्होंने ड्रग के केस में फंसा दिया।