बचपन से माता पिता बच्चों को यही सिखाते हैं कि पढ़ाई लिखाई करो वरना नौकरी नहीं मिलेगी। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां अनपढ़ लोग भी 25 हज़ार रुपए महीना कमाते हैं और काम सिर्फ इतना है कि उनको गांव की भैंस चरानी हैं। दरअसल बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले झकस कुमार जो भैंस चराकर अपनी अच्छी कमाई कर रहे हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के पास झट्टा गांव के किसानों ने अपनी भैंसों को चराने के लिए झकस कुमार को काम पर रखा है। अनपढ़ झकस कुमार के पास अभी 50 भैंसे हैं, उसे हर महीने इन्हें चराने के एवज में 25 हजार रुपये मिलते हैं। झकस की तरह बिहार और यूपी के कई लोग इसी काम में लगे हुए हैं।
गांव के सोहनपाल पहलवान ने बताया कि जो लोग चरवाहों का काम कर रहे हैं, वे मुख्य रूप से एनसीआर मे फसल की बुआई और कटाई के लिए आते थे। इधर, किसानों के पास इतना समय नहीं होता कि वे दिनभर भैंसों को चराने में लगे रहें। किसानों ने ही इन मजदूरों को आइडिया दिया कि वे उनके भैंसों को चरा दिया करें और बदले में प्रति भैंस 500 से 700 रुपये महीना ले लिया करें।
यह आइडिया हिट हो गया और अब इलाके के बदौली, गुलावली, कामनगर आदि गांवों में इसी तर्ज पर भैंसो के लिए चरवाहे नियुक्त किए गए। किसान अनंगपाल ने बताया कि एक भैंस औसतन 8 से 10 किलो दूध रोज देती है। इस तरह महीने में 15 हजार रुपये की कमाई हो जाती है। ऐसे में 500 रुपये लेकर कोई अगर भैंसों को चरा देता है तो इससे फायदा ही है। वक्त तो बच जाता है।
ये चरवाहे गांव में ही किसी के मकान में किराये पर परिवार सहित रहते हैं। सुबह आठ बजे से ये घर-घर जाकर भैंसों को खोल लेते हैं और उन्हें गांव के बाहर खेतों की ओर ले जाते हैं। भैंसों को चराने के बाद हिंडल या यमुना नदी में नहला देते हैं। उसके बाद शाम पांच बजे वापस भैंसों को गांव ले आते हैं। एक चरवाहे मनोज ने बताया कि उनके गांव के बहुत से लोग अब यही काम कर रहे हैं। इसमें पैसे भी ठीक मिल जाते हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा के अलावा हरियाणा के फरीदाबाद इलाके के गांवों में भी उन्हें काम मिल जाता है। इस काम में अधिकतर बिहार और पूर्वी यूपी के लोग शामिल हैं।