किलोमीटर शीशे को खरीदा गया और इसको पहाड़ के दूसरी ओर 1,100 किलोमीटर की ऊंचाई पर लगाया गया और यह शीशा पहाड़ के ऊपर इस तरह से लगाया गया है जिससे सूरज की रोशनी शीशे पर सीधी पड़ें और वह गांव पर धूप बनकर गिरे। इस प्रकार से इस गांव के लोगों ने अपने लिए खुद ही नया सूरज बना लिया है।