पूरी दुनिया में कई सालों से एक मुद्दे पर अच्छी ख़ासी बहस छिड़ी हुई है और वो है शाकाहार और मांसाहार की। दुनिया के सभी लोगों को अपनी मर्ज़ी और स्वाद के मुताबिक खाना खाने का अधिकार है। हालांकि ऐसा कोई रूल नहीं है कि आपको पूरी तरह से शाकाहार अपनाना है या आप सम्पूर्ण रूप से मांसाहारी बन जाएं। लेकिन फिर भी एक बदलाव लाने के लिए यह एक मुहिम है जो दुनिया भर के कई संस्थानों ने चलाई हुई है।
कोलंबिया में इंटरनेशनल सेंटर फॉर ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर में काम करने वाले एंड्रयू जार्विस कहते हैं कि विकसित देशों में शाकाहारी होने के बहुत से फ़ायदे हैं। ये पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए बेहतर है। लेकिन विकासशील देशों में ये गरीबी को बढ़ावा देने की वजह भी बन सकता है।