जब कभी भी शराब का ज़िक्र होता है तो पटियाला पेग ज़रूर सुनने को मिल जाता है। चाहे आप शराब न भी पीते हों लेकिन आजकल के पंजाबी गानों में आपने यह शब्द सुना होगा। लेकिन क्या कभी आपने गौर किया है कि इसका नाम पटियाला पेग क्यों होता है और इसका नाम पटियाला पेग क्यों पड़ा। आइये हम आपको बताते पटियाला पेग के नाम का असली राज़।

दरअसल पटियाला पेग बाक़ी शराब के गिलासों के मुक़ाबले ज़्यादा बड़ा होता है और इसमें शराब की मात्र अधिक होती है। पटियाला पेग के गिलास में पानी और शराब आधी आधी मात्रा में होते हैं। और यही कारण है कि शराब की मात्र अधिक होने की वजह से अधिकतर लोग पटियाला पेग को नहीं झेल पाते। खैर ये तो बात थी पटियाला पेग के रिस्क और मात्रा की अब आपको बताते हैं कि इसका नाम पटियाला पेग क्यों पड़ा।

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पटियाला पेग का इतिहास से गहरा संबंध है। दरअसल 1891 से 1938 तक पटियाला के राजा रहे महाराजा भूपेन्द्र सिंह जी से इस बात का गहरा संबंध है। अगर आप इतिहास के जानकार हैं तो महाराजा भूपेन्द्र सिंह जी वही राजा हैं जिन्होने अपनी रोल्स रॉयस से शहर का कचरा उठवाया था। कहा जाता है कि भूपेन्द्र सिंह जी की एक खास पोलो टीम थी जब उन्होने एक आइरिश टीम को खेलने को बुलाया तो खेलने से पहले शराब पीने की बात हुई। आइरिश खिलाड़ियों ने अपना रौब दिखाने के लिए ज़्यादा शराब पीने लगे। जब आइरिश टीम ने हारने का कारण बड़े पेगों को बताया तो इस पर महाराजा ने कहा कि पटियाला पेग बड़े ही होते हैं।

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बस तभी से पटियाला पेग बड़े होने लगे और इनका नाम पटियाला पेग पड़ गया। यहां एक गौर करने के बात यह है कि अगर आप शराब पीते हैं तो चाहे छोटा पेग हो या बड़ा, या फिर पटियाला पेग ही क्यों न तीनों स्थिति में ही शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है

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