शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शोध इस प्रायोगिक सबूत की पुष्टि करता है कि हमारे चलने के तरीके से हमारे व्यक्तित्व का पता चलता है। सचेल ने कहा कि लोगों की जैविक गति और आक्रमकता से जुड़ी मंशा के बीच संभावित संबंध की पहचान कर अपराध रोकने में मदद पाई जा सकती है।
लियाम ने कहा कि अगर सीसीटीवी सुपरवाइजर को शोध में बताए गए आक्रामक चाल की पहचान का प्रशिक्षण दिया जाए तो उनकी अपराध से जुड़ी हरकतों की पहचान करने की क्षमता में सुधार किया जा सकता है। इस अध्ययन के लिए दल ने 29प्रतिभागियों के व्यक्तित्व का आकलन किया। इसके लिए उन्हें स्वाभाविक रूप से ट्रेडमिल पर चलने के लिए कहा गया और उनकी स्पीड को रिकॉर्ड किया गया। लियाम ने कहा कि “हमारे रिसर्च से यह बात पक्की है कि लोगों के चलने के तरीके से उनके व्यक्तित्व के बारे में पता चलता है।“
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