इस अध्ययन की मुख्य वैज्ञानिक लिंडा मैन्सफीड ने कहा, ‘उचित न्यूनतम आंतरिक तापमान तक चिकन न पकाने से इसमें बैक्टीरिया रह जाता है। यह बैक्टीरिया एक निश्चित आनुवंशिक बनावट के साथ एक निश्चित कैम्पिलोबैक्टर स्ट्रेन (ऐंठन) से मिश्रित होता है। इसके कारण शरीर की तंत्रिकापेशियों में कमजोरी, ऐंठन व संकुचन आती है और व्यक्ति लकवे का शिकार हो जाता है।

मेन्सफिल्ड ने कहा, इससे जुड़ी बात यह है कि बहुत सारे स्ट्रेन्स एंटीबायोटिक्स के प्रतिरोधक है और हमारे शोध से पता चलता है कि कुछ एंटीबायोटिक्स से इलाज करने पर रोगी को और नुकसान पहुंचा सकता है। दुनिया भर में GBS विकट न्यूरोमसक्यूलर लकवा होने का प्रमुख कारण है।

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