लिंग में उत्तेजना खत्म हो जाने को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या नपुंसकता कहते हैं। इरेक्शन सेक्स पूरा हो जाने के बाद यानी इजेकुलेशन के बाद खत्म होना चाहिए। जिन लोगों में यह दिक्कत पाई जाती है, वे चिड़चिड़े हो सकते हैं और उनका कॉन्फिडेंस लेवल भी कम हो सकता है। पुरुष के लिंग में उत्तेजना विचार से भी आती है और स्पर्श से भी। इसका परिणाम यह होता है कि शरीर के साथ लिंग में भी खून का प्रवाह तेज हो जाता है मगर उत्तेजना के लिए उचित हॉर्मोन का होना भी जरूरी है। हालांकि कई बार लोग वहम का शिकार भी हो जाते हैं। पुरुषों में 60 साल के बाद और महिलाओं में 45 साल के बाद हॉर्मोन की कमी होने लगती है, जिससे उनके उत्तेजित होने में समय लगता है या फिर वे उत्तेजित ही नहीं हो पाते हैं। हालांकि कई मामलों में देखा गया है कि कुछ लोग 70 वर्ष की उम्र के बाद भी सेक्स करने के काबिल होते हैं। नपुंसकता के जो मुख्य कारण हैं पहले उसे समझ लें।
नशा
नशा सेक्स लाइफ को प्रभावित करता है। तनाव, शराब, धूम्रपान और मधुमेह का भी सेक्स लाइफ पर असर होता है। नशे के बारे में कहा जाता है कि शुरुआती तौर पर व्यक्ति को सेक्स में अच्छा लगता है, लेकिन धीरे धीरे स्थितियां बिलकुल उलट हो जाती हैं।
हार्मोंस
हार्मोंस डिसऑर्डर्स, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन अथवा नपुंसकता की बड़ी वजह हो सकती है।
न्यूरो प्रॉब्लम
नर्वस सिस्टम में कमी के चलते भी यह समस्या हो सकती है। यानी न्यूरॉलजी से जुड़ी समस्याएं भी नपुंसकता की अहम वजह हो सकती हैं।
एकाग्रता की कमी
हमारे मस्तिष्क में सेक्स संबंधी बातों के लिए एक खास केंद्र होता है। इसी केंद्र के चलते सेक्स संबंधी इच्छाएं नियंत्रित होती हैं और इंसान सेक्स कर पाता है। इस सेंटर में अगर कोई डिसऑर्डर है, तो भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हो सकता है। सेक्स के वक्त कोई दूसरी बात ना सोचें।
वहम
कई बार लोगों को लगता है कि वे ठीक तरह से सेक्स कर भी पाएंगे या नहीं और जब यह विचार के व्यक्ति के मन में आता है तो हकीकत में ऐसा हो जाता है। मन में ऐसी शंकाएं भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह बनती हैं।
लगभग 80 फीसदी मामलों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह शारीरिक होती है, बाकी 20 फीसदी मामले ऐसे होते हैं जिनमें इसके लिए मानसिक कारण जिम्मेदार होते हैं।