जिनलोगों ने ‘स्टुअर्ट’ देखी थी, वह कम खुश थे जबकि डॉक्युमेंट्री देखने वालों पर कम असर पड़ा था। जब वॉल सिट पर फिर से उनकी परीक्षण किया गया तो जिनलोगों ने स्टुअर्ट देखी थी, वे दीवार के सहारे करीब 13 फीसदी ज्यादा समय तक बैठे रहे जबकि डॉक्युमेंट्री देखने वाले ग्रुप 4.6 फीसदी अवधि कम रही। इसके अलावा उनलोगों से पूछे गए सवाल के आधार पर यह पता चला कि स्टुअर्ट देखने वाले ग्रुप ने डॉक्युमेंट्री देखने वाले ग्रुप के मुकाबले एक-दूसरे के प्रति ज्यादा लगाव पाया।
स्टडी के दौरान एक ग्रुप ने ‘स्टुअर्ट: अ लाइफ बैकवर्ड्स’ फिल्म देखी। इसमें एक विकलांग बच्चे की कहानी है जो आत्महत्या कर लेता है। दूसरे ग्रुप ने एक अलग डॉक्युमेंट्री देखी, जिसका विषय थोड़ा कम भावुक था।
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