शूटर

मछली पकड़ने की कला से मिली मदद
मनीषा के मुताबिक, मछली भेदना मैंने पिता से सीखा था और कोच से सीखा उड़ती चिड़िया पर निशाना लगाना। इसी कला के चलते आज मैं देश की नंबर-वन शूटर बन गई हूं।
वह बताती हैं कि मछली का मूवमेंट जानने के लिए शांत मन से अंदाजा लगाना होता हैै कि मछली किधर है। यह कला मैंने अपने पिता से सीखी है। इसका मुझे अपने करियर में भी फायदा मिला। शांत चित से अब निशाना लगाती हूं। दरअसल मेरा खेल ट्रेप शूटिंग है। इसमें क्ले बर्ड पर निशाना लगाना होता है, जो थोड़ा कठिन काम है। लेकिन कोच मनशेर सिंह ने मुझे यह कला भी सिखा दी है।
सच बताऊं 2013 से पहले तक मैंने कभी बंदूक भी नहीं पकड़ी थी, लेकिन उसी साल मई में अकादमी में प्रवेश मिला और शूटिंग करने लगी। पिछले साल मैंने फिनलैंड में अंतरराष्ट्रीय शूटिंग में स्वर्ण जीता तो विश्वास हुआ मैं सही दिशा में जा रही हूं। आत्मविश्वास बढ़ा और आज मैं नंबर वन हो गई, लेकिन यह एक पड़ाव है मेरा असली लक्ष्य 2020 ओलिंपिक है।

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