कहते हैं अगर हौसले बुलंद हों तो दुनिया का कोई भी काम असंभव नहीं होता और इस बात की जीती जागती मिसाल हैं शीला जिन्होने महज चार साल की छोटी उम्र में ट्रेन हादसे में अपने दोनों हाथों और दाहिने पैर की अंगुलियां गंवा दी। इस दर्दनाक हादसे के बाद शीला ने अपने दूसरे पैर की अंगुलियों की मदद से खुद को लिखने और चित्रकारी में प्रशिक्षित किया। लखनऊ की 48 वर्षीय शीला शर्मा अपने पैर और मुंह की मदद से विचारशील कलाकृतियां बनाती हैं। उनकी हाल की कुछ कलाकृतियां यहां विकलांग कलाकारों की सामूहिक प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गयी हैं।
शीला का कहना है कि मेरे पिता को कला कभी वाकई समझ में नहीं आयी और वह चाहते थे कि मैं कोई सुरक्षित काम हाथ में लेती लेकिन मैं इसे अपना जीवन बनाना चाहती थी। हादसे में अपने हाथ गंवाने के बाद उनकी जिंदगी कई मायनों में बदल गयी। इस हादसे में उनकी मां चल बसीं।
अपनी बात को और विस्तार से बताते हुए शीला ने कहा, “जब वह अपने सपने और जुनून के पीछे जुट गयी थी तब उन्हें ढेरों आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोगों को उनकी चित्रकार का काम अजीब लगा”। उन्होंने कहा कि लोग मुझसे कहते थे कि यह तुम्हें कहीं नहीं ले जाएगा। लेकिन वह बतौर चित्रकार अपना करियर बनाने के लिए मुश्किलों से लोहा लेती रहीं।