मिथलेश जी ने राजेंद्र प्रसाद और धीरूभाई अम्बानी के नकली साइन करके भी लोगों को ठगा। तो इन्हें बिना किसी ताम-झाम के भारत का राष्ट्रपति बनने का भी सौभाग्य प्राप्त है। इन्होंने लगभग 50 अलग-अलग पहचान बना रखी थीं।इन्होंने कुछ विदेशियों को ताजमहल बेच दिया। सोचने वाली बात ये है कि वो बेवक़ूफ़ कौन थे जो सोचते थे कि वो किसी देश के स्मारक खरीद सकते हैंएक बार महानुभाव ने संसद भवन के साथ-साथ उसके सारे सांसदों को भी बेच दिया था। सोचिए जब उन खरीददारों ने इन लोगों को क्लेम किया होगा तो पुलिस वालों का क्या रिएक्शन रहा होगा।
श्रीवास्तव जी को 14 केसों में कुल मिलाकर 113 साल की सज़ा सुनाई गई पर ये जितनी बार पकड़े जाते उतनी बार भाग जाते थे। इन्होंने कभी अपनी सज़ा पूरी नहीं की और मुश्किल से 20 साल ही जेल में गुज़ारे वो भी लगातार नहीं।ये आखिरी बार 84 साल की उम्र में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पुलिस से चंगुल से निकलकर दनदनाते हुए भाग निकले। आज भी भारत के बुज़ुर्ग इनकी सेहत के राज़ जानने की कोशिश में जुटे हैं।इनके भाई कहते हैं कि इनका अंतिम संस्कार उन्होंने 1996 में ही कर दिया था। पर नटवरलाल के वकील कहते हैं कि वो 2009 तक ज़िंदा थे।
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