नाबालिग ने कोतवाली थाना में 16 मई 2015 को उसके साथ सामूहिक दुराचार होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने पुलिस को बताया था कि वह सुबह अपने घर से चाची को देखने के लिए मंडला अस्पताल गई थी। शाम को वह घर जाने के लिए मंडला बस स्टैंड में बस का इंतजार कर रही थी। तभी शाम के 7ः30 बजे दो लड़के बाइक से आए और बिछिया छोड़ने के बहाने लालीपुर में एक दुकान में ले गए।

अभियुक्त सोनू उर्फ मोनू को न्यायालय ने फैसले में उक्त धाराओं के तहत दोषी मानते हुए उसे 20 साल कैद की सजा सुनाई। शासन की ओर से प्रकरण की पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी अरूण कुमार मिश्रा द्वारा की गई।

 

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