मालवा बेल्ट में बड़ी संख्या में बनने वाले इन अवैध हथियारों की तस्करी के लिए 20-22 साल के आदिवासी युवको का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें 5 हजार रुपए देकर हथियार को संबंधित जगह पर डिलेवर किया जा रहा है। इधर एसटीएफ ने अपनी पड़ताल में यह भी पाया कि सिकलीकर्स हथियारों की खरीदारी के लिए खास कोड डंडा और दाना कहते है।इसके अलावा डीलिंग करने वाला व्यक्ति कहीं पुलिस या खबरी तो नहीं है यह सुनिश्चित करने के लिए हथियार खरीदने वाले से उसकी मां या बहन से बात करवाने को कहा जाता है। ऐसे में जो जानकार नहीं है उसके सकपका जाने से वो समझ जाते है कि जाल बिछाया जा रहा है।