तब भगवान ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है, यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं । इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके । इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं । तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है । किसान हठपूर्वक बोला कि, नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा । लक्ष्मीजी ने कहा कि हे किसान तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूं वैसा करो ।
कल तेरस है, तुम कल घर को लीप-पोतकर स्वच्छ करना । रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और सायंकाल मेरा पूजन करना और एक तांबे कलश में रुपए भरकर मेरे लिए रखना, मैं उस कलश में निवास करूंगी । किंतु पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी । इस एक दिन की पूजा से वर्ष भर मैं तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी । यह कहकर वह दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं । अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कथानुसार पूजन किया । उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया । इसी वजह से हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होनी शुरु हो गई ।