नवरात्र हिंदुओं का बेहद पवित्र और अहम त्यौहार है इसमें देवी मां यानि की मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। इस पवित्र त्यौहार में अक्सर हर घर में घटस्थापना और अखंड ज्योति की स्थापना की जाती है। ऐसा माना जाता है की ऐसा करने से घर परिवार पर मां की कृपा बरसती है।
नवरात्र में घटस्थापना और अखंड ज्योति का अपना अलग ही महत्व हैं। लेकिन अगर इसे वास्तु नियमों के अनुसार जगह दी जाए तो फल भी उतना ही मिलता हैं जितना मिलना चाहिए। इसलिए बेहद जरूरी है की अखंड ज्योति की दिशा वास्तु के हिसाब से सही हो।
तो आइये जान लीजिये वास्तु के हिसाब से अखंड ज्योति की स्थापना किस दिशा में हो।
1. उत्तर- पूर्व यानि ईशान कोण को देवी- देवताओं का स्थान माना गया हैं। इसी दिशा में माता की प्रतिमा और घट की स्थापना करना शुभ होता हैं।
2. कलश को नीचे जमीन पर ना रखें। बल्कि इसकी स्थापना चंदन के पटिए पर करें। यह बहुत ही शुभ माना जाता हैं। साथ ही ध्यान रखें कि पूजा वाली जगह के ऊपर कोई गंदे कपड़े आदि पड़े हुए ना हो।
3. कलश को नीचे जमीन पर ना रखें। बल्कि इसकी स्थापना चंदन के पटिए पर करें। यह बहुत ही शुभ माना जाता हैं। साथ ही ध्यान रखें कि पूजा वाली जगह के ऊपर कोई गंदे कपड़े आदि पड़े हुए ना हो।
4. नवरात्र में समय कुछ लोग अपने घर पर लगे ध्वजा को भी बदलते हैं। इस बार ध्वजा बदलते हुए उसकी दिशा को ध्यान में जरूर रखें। घर की छत पर उत्तर पश्चिम कोने पर ही ध्वजा लगाएं।
5. जिस जगह पर माता की प्रतिमा को स्थापित किया गया हैं, वहां के आस पास की जगह को थोड़ा खुला रखें।