इसी मुद्दे को लेकर गांव की चौपाल पर पालिवाल ब्राह्मणों की बैठक हुई और 5000 से ज्यादा परिवारों ने अपने सम्मान के लिए रियासत छोडऩे का फैसला किया। अगली शाम कुलधरा कुछ ऐसा वीरान हुआ, किस आज तक यहां कोई आकर नहीं बस सका। कहते हैं गांव छोड्ते वक्त उन ब्राह्मणों ने इस जगह को श्राप दिया था कि इस जगह पर कोई भी रहने में सक्षम नहीं होगा। तब से आज जक ये वीरान गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में है, जो अक्सर यहां आने वालों को अपने होने का अहसास करवाती हैं।