यह सुनकर खुश होते हुए सन्यासी ने कहा बेटा मैं तुम्हारे सत्य बोलने से खुश हूं। मैं इस तरह की बातों को नहीं मानता। तुम मुझे पानी पिलाओ। अफजल ने संन्यासी को पानी पिला दिया। पानी पीने के बाद संत ने उसे प्यार भरी नजर से देखा और कहा कि बेटे तुम्हारे पिछले जन्म के कर्म बहुत अच्छे हैं। इस वजह से में तुम्हें एक योग क्रिया सिखा रहा हूं। इससे तुम्हारी अदृश्य लोकों में से किसी एक पर सत्ता स्थापित हो जाएगी। इससे जो शक्तियां तुम्हें मिलेंगी उनका उपयोग अच्छे उद्देश्य के लिए ही करना। भूल से भी इनका उपयोग किसी गलत काम के लिए नहीं करना।
संन्यासी ने अफजल से ये भी कहा कि मैं देख रहा हूं कि पिछले जन्म के कुछ गलत काम अभी भी तुम्हारे बीज में हैं। जिन्हें तुम कभी भी अच्छे कामों पर हावी नहीं होने देना। इसके बाद संन्यासी अफजल को सिद्धि की प्रक्रिया समझाकर चले गए। अफजल ने 20 साल तक इस सिद्धि का कठोर अभ्यास किया। धीरे-धीरे उसके चमत्कारों की चर्चा होने लगी। वह हवा में हाथ उठाकर कहता हजरत में मुझे ये चीज चाहिए, वह चीज पल भर में उसके सामने आ जाती।
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