कल से चैत्र नवरात्र शुरु हो रहे है। मंदिरों में जोरो-शोरो से तैयारियां चल रही है। हिंदू धर्म के लोग नवरात्रों में 9 दिन तक देवी दुर्गा को 9 स्वरूपों की आराधना करते हैं। कल यानी 28 मार्च को पहला नवरात्रा है। इस दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8.26 बजे से लेकर 10.24 तक है। नवरात्र के आरंभ में कलश की स्थापना की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे है नवरात्रि कलश की स्थापना करते वक्त किन बातो ता रखें खास ख्याल।
- कलश की स्थापना घर के उत्तर पूर्व कोने में करनी चाहिए। इसकी स्थापना उत्तर और पूर्व में भी की जा सकती है। लेकिन, घर के दक्षिण और पश्चिम भाग में कलश की स्थापना न करें।
- जिस कलश को आप स्थापित कर रहे है वह मिट्टी, पीतल, तांबा, सोना या चांदी का होना चाहिए। गल्ती से भी लोहे या स्टील के कलश का इस्तेमाल नहीं करे ।
- महर्षि वेद व्यास से द्वारा भविष्य पुराण में बताया गया है की कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से शुद्ध किया जाना चाहिए। उसके उपरान्त एक लकड़ी का पाटे पर लाल कपडा बिछाकर उसपर थोड़े चावल गणेश भगवान को याद करते हुए रख देने चाहिए | फिर जिस कलश को स्थापित करना है उसमे मिट्टी भर के और पानी डाल कर उसमे जौ बो देना चाहिए | इसी कलश पर रोली से स्वास्तिक और ॐ बनाकर कलश के मुख पर मोली से रक्षा सूत्र बांध दे | कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रख दे और फिर कलश के मुख को ढक्कन से ढक दे। ढक्कन को चावल से भर दे। पास में ही एक नारियल जिसे लाल मैया की चुनरी से लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए। इस नारियल को कलश के ढक्कन रखे और सभी देवी देवताओं का आवाहन करे । अंत में दीपक जलाकर कलश की पूजा करे । अंत में कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ा दे | अब हर दिन नवरात्रों में इस कलश की पूजा करे |